हमें बचपन से ही दुसरो की मदद करने, सम्मान करने, इज्जत से पेश आने के बारे में सिखाया जाता है | कई बार हमें जीवन में किसी ना किसी की मदद की जरुरत पड़ जाती है, तब हमारा कोई अपना, या कोई दोस्त हमारी मदद के लिए आगे आता है, लेकिन चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में कुछ ऐसे लोगो का वर्णन किया है, जिनकी मदद करना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है | चाणक्य नीति में लिखी बातो का ऐसा प्रभाव है कि यदि कोई उन्हें अपने जीवन में उतार ले, तो उस व्यक्ति का जीवन सफल हो जाता है, कौटिल्य ने मनुष्य के रिश्तो के बारे में कई बाते बताई है | आज हम आपको उन 3 व्यक्तियों के बारे में बताने जा रहे है, जिनकी मदद करना, स्वयं को हानि पहुंचने के समान है |
बेवजह दुखी रहने वाला व्यक्ति
चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति अपने जीवन में बेवजह दुखी रहते है, किसी भी चीज से संतुष्ट नहीं होते है, ऐसे लोगो से दूरी बनाकर ही रखनी चाहिए | ये लोग अपने जीवन में अच्छा होने पर भी रोते रहते है, बेवजह खुद को कोसते है, साथ ही लोगो से ईर्ष्या भी रखते है | चाणक्य के अनुसार ऐसे लोगो से दुरी बनाकर रखने में ही भलाई है |
चरित्रहीन व्यक्ति
चाणक्य के अनुसार चरित्रहीन व्यक्ति से भी हमेशा दुरी बनाकर रखनी चाहिए क्योंकि ऐसे किसी व्यक्ति की मदद करने से आपके चरित्र पर भी सवाल उठने का खतरा बनता है | इसके साथ ही ऐसे व्यक्ति के साथ सम्पर्क में रहने से आपका और आपके परिवार का नाम बदनाम होता है | ऐसे लोग स्वयं तो अधर्म के रास्ते पर चलते है और दुसरो को भी इसमें शामिल करते है |
मुर्ख व्यक्ति
चाणक्य का कहना है कि कभी भी मुर्ख व्यक्ति को किसी भी प्रकार की सलाह नहीं देनी चाहिए | मुर्ख व्यक्ति किसी की भी बातो में जल्दी आ जाते है और सबसे बड़ी बात, ये जरुरी बातो को आसानी से समझ भी नहीं पाते है | ऐसे लोगो को समझाना अपने समय को बर्बाद करने जैसा है, इसीलिए ऐसे व्यक्ति से दुरी ही रखनी चाहिए |